journal
INSTITUTEOF VOCATIONAL STUDIES
AWADH CENTRE OF EDUCATION
(Affiliated by Guru Gobind Singh Indraprastha University)
BACHELOR OF EDUCATION (B.Ed.) PROGRAMME
SESSION- 2016 – 2018
UNDERSTANDING
THE SELF-155
NAME: AMJAD HUSSAIN
R.NO.00513902116
JOURNAL
मेरा नाम अमजद
हुसैन
है।मेरे
जीवन
में
बहुत
से
अनुभव
हुए
हैं।शुरुआत
मैं
अपनी 6 क्लास
से
करना
चाहता
हूँ।जब
मई 6 क्लास
में
था
तब
से
लेकर
अब
तक
का
मुझे
याद
है।इससे
पहले
मैं
केवल
अपने
धर्म
के
बारे
में
जनता
था
।लेकिब
जब
मेरा
दाखिला 6 क्लास
में
हुआ
।तो
मेरे
कई
सारे
दोस्त
बने
उनके
जरिये
मुझे
अलग
अलग
धर्मो
के
बारे
में
पता
चला।उस
समय
क्लास
में
हिन्दू,मुस्लिम् , शिख , इशाई , और
सिया
कई
तरह
के
धर्मो
के
बच्चे
पढ़ते
थे
।उनके
त्योहारो
के
बारे
में
भी
थोड़ी
थोड़ी
जानकारी
होने
लगी।
जब
मैंने 6 क्लास
का
पेपर
दिया
तो
मुझे
यह
नहीं
पता
था
की
शीट
भर
जाने
पर
दूसरी
शीट
लेनी
चाहिए
क्योंकि
इससे
पहले
की
एजुकेशन
मेरी
गाँव
की
थी।लेकिन
जब
मुझे
पता
चला
तो
मैंने
अपनी
यह
गलती
सुधारी।
मैं
गवर्नमेंट
स्कूल
से
पढ़ा
हूँ।
उस
समय
टीचर
उतना
नहीं
बताते
थे।
जब
मैं 10 क्लास
में
पंहुचा
तो
मुझे
एक
अनुभव
यह
हुआ
की
बुरी
सांगत
का
नतीजा
बुरा
होता
है।
उस
समय
मेरे
जो
दोस्त
थे
उनमे
बहुत
बुरी
आदतें
थीं।वो
मुझे
भी
करने
को
कहते
थे।
पर
मुझे
अपने
परिवार
से
दर
लगता
था
मैंने
कभी
भी
उनकी
बात
नहीं
मानी।
वह
पीरियड
बंक
करके
घुमते
थे।।
जहाँ
हमारा
स्कूल
था
वहाँ
से
आधा
किलो
मीटर
पर
यमुना
नदी
थी।
वो
सब
वही
घुमते
थे
।
जब 10 क्लास
का
पेपर
हुआ
तो
उसका
जब
रिजल्ट
आया
तो
उसमे
से
कई
तो
फेल
हो
गए
।मैं
भी
अगर
उनकी
सांगत
में
रहता
तो
आज
शायद
बी.एड
न
कर
रहा
होता
।जब
मेरी
उम्र 15 19 के
बीच
की
थी
तो
मुझे
अपने
माता -पिता
और
टीचर
की
बात
बहुत
ही
बुरी
लगती
थी
।
इस
लगता
था
की
यह
गलत
बोल
रहे
हैं
और
हमेशा
बस
फालतू
बोलते
हैं
।
बस
अपनी
बाते
अच्छी
लगती
थी
।
पर
वो
सही
थे
।
हम
गलत
थे
।
वो
हमें
अच्छे
के
लिए
बोलते
थे
।
टीचर
हमारा
कभी
बुरा
नहीं
चाहते
यह
अनुभव
मैंने 12 क्लास
में
किया
।
जब
मैं 12 क्लास
में
था
तो
मै
अपने
दोस्तों
की
सांगत
में
रहकर
स्कूल
बहुत
कम
आता
था
और
जब
भी
आता
था
तो
लंच
टाइम
में
घर
चला
जाता
था
टीचर
मुझसे
परेशांन
हो
गया
था
उसने
इतना
तक
कह
दिया
था
की
अमजद
तुम
फ़ैल
हो
जाआगे
तुम्हे
कोई
पास
नहीं
कर
सकता
।
लेकिन
उन्होंने
जो
भी
कहा
था
पर
पेपर
से
पहले
उन्होंने
अपने
विषय
के
नोट्स
बनाये
थे
और
सभी
बच्चों
को
दे
दिए
थे
।
मुझे
कहा
की
बेटा
मेरी
पहली
की
बात
भूल
कर
मेरी
अब
की
बात
मान
लो
और
इन्हें
याद
कर
लेना
तुम
पास
हो
जाओगे
।।
मैंने उनको इतना
परेशान
किया
फिर
भी
उन्होंने
मेरी
मदद
की।
मैंने
उनकी
बातों
को
माना
और
उनके
विषय
में
मेरे 87 मार्क्स
आये
थे।मैंने
एक
अनुभव
यह
किया
है
की
अगर
कोई
आप
पर
भरोसा
करता
है
तो
उसका
भरोसा
नहीं
तोडना
चाहिए l हमारा 3 दोस्तों
का
फ्रेंड सर्कल था
।
हैम
कभी -कभी
एक
दुसरे
के
घर
भी
जाते
थे।
एक
दोस्त
का
मेरे
दुसरे
दोस्त
की
बहन
के
साथ
अफैर
था
।
मैंने
उससे
कहा
की
ऐसा
मत
कर
लेकिन
उसने
मेरी
बात
नहीं
मानी
मैंने
उससे
हमेशा
के
लिए
उससे
रिश्ता
तोड़
दिया
।
दूसरो
की
मदद
करने
का
भी
मेरी
जिंदगी
में
अनुभव
हुआ
है।
मैंने
हमेशा
जितना
भी
मुझसे
हो
सका
है
मैंने
हमेशा
मदद
की
है
।
एक
बार 2009 की
बात
है
मैं
अपने
होम
टाउन
गया
था
।
वहा
से
मैं
अपनी
बुआ
के
घर
जा
रहा
था
उससे
पहले
मेरा
पर्स
चोरी
हो
गया
। 40 रुपये
का
बस
का
टिकट
था
।।
मैं अकेले था मैं
क्या
करता
बस
मेरी
आँखों
से
आशुं
निकल
रहे
थे। उसके थोड़े
देर
बाद
एक
अंकल
जी
वहां
आये
और
पूछा
क्यों
रो
रहे
हो।
मैंने
अपनी
सारी
परेशानी
उन्हें
बताई।
उन्होंने
मुझे
बस
का
टिकट
लेकर
दिया
।
उस
समय
यह
महशूस
हुआ
की
अगर
आप
दूसरों
की
मदद
करते
हो
तो
जरूरत
पड़ने
पर
आपकी
की
भी
खुद
बा
खुद
मदद
हो
जायेगी। नवंबर 2015 में
मैंने
यह
अनुभव
किया
की
आज
के
समय
में
भी
जनता
जागरूक
नहीं
है।।
मैं अपने होम टाउन
गया
हुआ
था
उस
समय
वहां
ग्राम
पंचायत
का
चुनाव
हो
रहा
था
।
लोग 500 रुपये
पर
अपना
वोट
दे
रहे
थे।
जिसे
दे
रहे
थे
वो
एक
बुरा
इंसान
था
लेकिन
पैसों
में
उसकी
बुराई
भी
नहीं
दिख
रही
थी।।
वो चुनाव में जीत
भी
गया
था।
मैं नवम्बर 2015 का अनुभव शेयर करना चाहता हूँ। मेरे जीजा जी की बहन की एक लड़की थी। उससे मेरे जीजा जी ने मेरी शादी की बात चलाई। लड़की वाले मुझे और मेरे परिवार को सुरूआत से अच्छी तरह से जानते थे। मेरे एक पैर में पोलियो है।और इसके इलावा मुझमे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।किसी तरह का मुझमे कोई अमल नही है। जैसे शराब ,शिकरेट,गुटखा इनमे से किसी भी चीज का मुझमे अमल नही है। यह बात लड़की के परिवार वाले और मेरे जीजा जी खुद अच्छी तरह जानते थे। जब मुझे देखने की बात आई तो सब आये देखने के लिए और देख के चले गए। अपने घर जाकर उन्होंने मुझे मेरे पैर में कमी को वजह बताते हुए मुझे रिजेक्ट कर दिया।जबकि उन्हें मेरी यह परेशानी पहले से पता थी। उस दिन मुझे बहुत दुःख हुआ और मैं बहुत रोया भी । उसके सात महीने के बाद उस लड़की की कही और शादी हुई।जिस लड़के से उसकी शादी हुई
उसमे कोई कमी नही थी ।लेकिन वह ड्रिंक करता था ।और दो तीन बार उसे मार भी चुका है ।वह लड़की उसके साथ खुस नहीं रहती। क्या उस समय मै सही था या इस समय वो लड़का जिससे वह दुखी रहती है। पता नहीं क्यों लोग इंसान की कमियों को ही क्यों देखते हैं अगर खुदा ने मुझमे कमी दी है तो मेरे लिए कुछ अच्छा भी सोचा होगा।
मैंने एक अनुभव यह भी किया की लोगों में धर्म और जाती को लेकर बहुत भेद भाव है बहुत ही कम लोग ऐसे मिले जो सभी के धर्मो को अच्छा बताते हों। ज्यादातर वही मिले जिनहोने अपने ही धर्म को अच्छा बताया हो। मेरा मामना है की जब इन सभी मामलों पर हैम सभी की सोच एक हो जॉएगी तब हमारा देश तरक्की पर होगा।
अंग्रेजी भाषा की परेशानी मैंने अपनी लाइफ में बहुत फेस की है पहले तो इतनी परेशानी नहीं थी लेकिन अब बहुत परेशानी होती है ।क्या करुँ शुरुआत की लाइफ उतनी अमीर नहीं थी की प्राइवेट स्कूल में पढ़ सकता
गवर्नमेंट स्कूल में अंग्रेजी नाम मात्र का विषय है। बी.एड में आकर मुझे बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन धेरे धीरे कुछ आसान होने लगा । हमारी टीचर हिंदी में भी समझने लगे ।
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