RTE
AWADH CENTRE OF EDUCATION
(Affiliated by Guru Gobind Singh Indraprastha University)
BACHELOR OF EDUCATION (B.Ed.) PROGRAMME
SESSION- 2016 – 2018
Preliminary School Engagement (PSE-1)
Implementation of the
provisions of RTE (Right to Education): An observational study to look at the
Ground Realities in the Schools in the neighbourhood
NAME: AMJAD HUSSAIN
R.NO.00513902116
शिक्षा का अधिकार
संविधान (86th) अधिनियम, 2002 ने भारत के संविधान में अंत:स्थापित अनुच्छेद 21-A, ऐसे ढंग
से जैसाकि राज्य कानून द्वारा निर्धारितकरता है, मौलिक
अधिकार के रूप में छह से चौदह वर्ष के आयु समूह में सभीबच्चों को मुफ्त और
अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। नि:शुल्क औरअनिवार्य बाल शिक्षा (आरटीई)
अधिनियम, 2009 में बच्चों का अधिकार, जोअनुच्छेद
21क के तहत परिणामी विधान का प्रतिनिधित्व करता है, का अर्थ
हैकि औपचारिक स्कूल, जो कतिपय अनिवार्य मानदण्डों
और मानकों को पूरा करताहै, में
संतोषजनक और एकसमान गुणवत्ता वाली पूर्णकालिक प्रांरभिक शिक्षा केलिए प्रत्येक
बच्चे का अधिकार है।
अनुच्छेद 21-क और आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ। आरटीईअधिनियम के शीर्षक में ''नि:शुल्क
और अनिवार्य'' शब्द सम्मिलित हैं। 'नि:शुल्क
शिक्षा' का तात्पर्य यह है कि किसी बच्चे जिसको उसकेमाता-पिता द्वारा स्कूल में
दाखिल किया गया है, को छोड़कर कोई बच्चा, जोउचित सरकार द्वारा समर्थित नहीं है, किसी किस्म
की फीस या प्रभार या व्ययजो प्रारंभिक शिक्षा जारी रखने और पूरा करने से उसको
रोके अदा करने के लिएउत्तरदायी नहीं होगा। 'अनिवार्य
शिक्षा' उचित सरकार और स्थानीयप्राधिकारियों पर 6-14 आयु समूह
के सभी बच्चों को प्रवेश, उपस्थिति
औरप्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने का प्रावधान करने और सुनिश्चित करने कीबाध्यता
रखती है। इससे भारत अधिकार आधारित ढांचे के लिए आगे बढ़ा है जोआरटीई अधिनियम के
प्रावधानों के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21-क में
यथाप्रतिष्ठापित बच्चे के इस मौलिक अधिकार को क्रियान्वित करने के लिएकेन्द्र
और राज्य सरकारों पर कानूनी बाध्यता रखता है।
आरटीई अधिनियम निम्नलिखित का प्रावधान करता है :
- किसी
पड़ौस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक नि:शुल्क और अनिवार्य
शिक्षा के लिए बच्चों का अधिकार।
- यह
स्पष्ट करता है कि 'अनिवार्य
शिक्षा' का तात्पर्य छह से
चौदह आयुसमूह के प्रत्येक बच्चे को नि:शुल्क प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने
औरअनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति
और प्रारंभिक शिक्षा को पूरा करने को सुनिश्चितकरने के लिए उचित सरकार की
बाध्यता से है। 'नि:शुल्क' का तात्पर्य यह हैकि
कोई भी बच्चा प्रारंभिक शिक्षा को जारी रखने और पूरा करने से रोकनेवाली फीस
या प्रभारों या व्ययों को अदा करने का उत्तरदायी नहीं होगा।
- यह
गैर-प्रवेश दिए गए बच्चे के लिए उचित आयु कक्षा में प्रवेश किए जाने का
प्रावधान करता है।
- यह
नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने में उचित सकारों, स्थानीयप्राधिकारी और
अभिभावकों कर्त्तव्यों और दायित्वों और केन्द्र तथाराज्य सरकारों के बीच
वित्तीय और अन्य जिम्मेदारियों को विनिर्दिष्टकरता है।
- यह, अन्यों के साथ-साथ, छात्र-शिक्षक अनुपात
(पीटीआर), भवन और अवसंरचना, स्कूल के कार्य दिवस, शिक्षक के कार्य के
घंटों से संबंधित मानदण्डों औरमानकों को निर्धारित करता है।
- यह
राज्य या जिले अथवा ब्लॉक के लिए केवल औसत की बजाए प्रत्येक स्कूलके लिए
रखे जाने वाले छात्र और शिक्षक के विनिर्दिष्ट अनुपात कोसुनिश्चित करके अध्यापकों
की तैनाती के लिए प्रावधान करता है, इस
प्रकारयह अध्यापकों की तैनाती में किसी शहरी-ग्रामीण संतुलन को सुनिश्चित
करताहै। यह दसवर्षीय जनगणना, स्थानीय
प्राधिकरण, राज्य विधान सभा और
संसद केलिए चुनाव और आपदा राहत को छोड़कर गैर-शैक्षिक कार्य के लिए अध्यापकों
कीतैनाती का भी निषेध करता है।
·
यह उपयुक्त रूप से
प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति के लिए प्रावधानकरता है अर्थात अपेक्षित प्रवेश
और शैक्षिक योग्यताओं के साथ अध्यापक।
·
यह (क) शारीरिक दंड और
मानसिक उत्पीड़न; (ख) बच्चों के प्रवेश के
लिएअनुवीक्षण प्रक्रियाएं; (ग) प्रति
व्यक्ति शुल्क; (घ) अध्यापकों द्वारानिजी
ट्यूशन और (ड.) बिना मान्यता के स्कूलों को चलाना निषिद्ध करता है।
- यह
संविधान में प्रतिष्ठापित मूल्यों के अनुरूप पाठ्यक्रम के विकास केलिए
प्रावधान करता है और जो बच्चे के समग्र विकास, बच्चे
के ज्ञान, संभाव्यता और प्रतिभा
निखारने तथा बच्चे की मित्रवत प्रणाली एवं बच्चाकेन्द्रित ज्ञान की प्रणाली
के माध्यम से बच्चे को डर, चोट
और चिंता सेमुक्त बनाने को सुनिश्चित करेगा।
शिक्षा का अधिकार
नियम लागू होने के उपरांत भी विधालयो में उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया जाता
आज भी विधालयो का स्थिति उसी प्रकार है जैसी नियम लागू होने से पहले थी |
शिक्षा का अधिकार के प्रावधान
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विधालयो की स्थिति
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1)प्राधान के अनुसार बच्चो को
विधालय में हर वस्तु की व्यवस्था होनी चाहिए जैसे पानी,बिजली आदि |
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किन्तु आज भी विधालयो में इन सभी सुविधाओ का आभाव है | सरकारी विधालयो
में पानी की व्यवस्था और बिजली की व्यवस्था सुनियोजित नहीं है |
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2) विधालयो में बैठने की व्यवस्था भी उचित होनी चाहिए जिससे की
विधार्थियों को कोई असुविधा न हो| जितने विधार्थी विधालय में प्रत्येक कक्षा में
है उतने बेंच होने अनिवार्य है |
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सरकारी स्कूल में जितने छात्र होते है उससे भी कम बेंच उपलब्ध है और कई
विधालयो में आज भी बच्चे नीचे बैठते है |
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3) शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत बच्चो की किताबे कम होनी चाहिए| बच्चो के कंधो का बोझ काम होना चाहिए |
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सरकार के प्रावधान के बाद भी बच्चो का ये बोझ कम नहीं हुआ है| बच्चे उतना
ही किताबो से भरा बैग लेकर जाते है |
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4)स्कूल का इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा होना चाहिए दीवारे सही होनी चाहिए |
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कई विधालयो की इन्फ्रास्ट्रक्चर व्यवस्था बिलकुल भी अच्छी नहीं होती |
सारी दीवारे खराब, टूटी हुई होती है और विधालय उन्हें सही करने का प्रयास भी
नहीं करता
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